इंसान और परिंदा, एक कहानी एक सीख़
संवाददाता : सय्यद तंज़ीम अली
इंसान और परिंदा, मैं ये जो लिखने जा रहा हूँ, ये एक समाचार भी है और कहानी भी समाचार उनलोगो के लिए जो लोग इंसान हो कर इंसान का धर्म भूल बैठे हैं और कहानी उनलोगो के लिए जो इस से कुछ सीख लें सकें.
मैं जानता हूं आज हर व्यक्ती जवान हो या बूढ़ा, औरत हो या मर्द या चाहे बच्चा हो एक कठीन परस्थिती से गुजर रहे हैं. एक ऐसी महामारी जिसे कोई समझ नहीं पा रहा है के क्या सही है क्या गलत, लोगों का काम धंदा ठप हो गया है, बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है, हॉस्पिटल में ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा है सारी बीमारियां जैसे टी.बी, कैंसर, एड्स, मलेरिया, टायफायड, जॉइनडिस ये सब गयाब सी हो गई हैं जो है तो बस कोरोना इस का हर जगा आतंक माचा हुआ है.
कोरोना महामारी के चलते आज एक इंसान दसरे इंसान से मिलने से परहेज करने लग गया है, यँहा तक के जिस बाप ने अपनी सारी जिंदगी अपने परिवार पे निछावर कर दी जब उसका देहांत हो जाता है तो उसके क्रियाकर्म तक के लिए कोई नहीं जाता. साथ जाता है तो बस उसके अच्छे करम, इसलिए जब तक आपकी जिंदगी है बस अच्छे कर्म करते रहिये क्योंकी आखरी वक्त में वही आपका साथी है.
मैं आप को एक हकीकत में गुज़रा किस्सा बताता हूँ, एक हॉस्पिटल की नर्स ने बताया के एक बुजुर्ग व्यक्ति को हॉस्पिटल में भारती किया, 3 दिन बीत जाते हैं पर 3 दिन से उस व्यक्ति के परिवार वाले उस व्यक्ति का हाल पूछने नहीं आये, मगर एक कबूतर 3 दिन से हर रोज़ उस बुज़ुर्ग व्यक्ति के पलंग पे कुछ देर आकर बैठता है फिर चला जाता है बाद में इस बात का खुलासा हुआ तो पता चला के हॉस्पिटल के पडोस में एक पार्क है जहा ये बुजुर्ग व्यक्ति एक बेंच पे बैठकर हर रोज़ उस कबूतर को दाना डाला करता था
देखिए जहाँ खून के रिश्ते तक काम नहीं आराहे हैं वहा भगवान ने एक परिंदे को इतनी समझ दी है के वो परिंदा हो कर भी जिसे कुछ दिन उस व्यक्ती ने कबूतर को दाना खिलाया वो उसकी बेमारी में उसके पास आकर बैठता है और जिसे सारी जिंदगी उस व्यक्ती ने अपना पेट काट कर खिलाया पिलाया वो आज उसको बेसहारा छोड़ चले गए.
इसलीये दोस्तो अच्छे कर्म करिये क्योंकी अच्छे कर्म कभी साथ नहीं छोडते बाकी साथ छोड देंगे.
Comments
Post a Comment